निकाय चुनाव से पहले बंगाली समाज को लेकर तराई की राजनीति गर्माई

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निकाय चुनाव से पहले बंगाली समाज को लेकर तराई की राजनीति गर्माई

 

– भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान के बयान को बनाया जा रहा है ढाल

– विपक्ष उन्हें याद दिलाकर अपनी ओर करने में लगा है, तो सत्ता पक्ष मनाने में

केएल, रुद्रपुर : ऊधम सिंह नगर में करीब डेढ़ लाख से अधिक बंगाली समाज के लोग निवास करते हैं। निकाय व पंचायत चुनाव नजदीक हैं। जिसे लेकर पक्ष-विपक्ष बंगाली समुदाय को साधने में लगे हैं। हाल ही में विधायक मुन्ना सिंह चौहान के बयान को लेकर बंगाली समुदाय में काफी रोष व्याप्त था, इस मामले में उनकी ओर से माफी मांग ली गई, लेकिन तब भी कुछ लोग उसी मुद्दे को बनाकर भड़का रहे हैं। वहीं सत्ताधारी दल भाजपा के नेता उन्हें मनाने में जुटे हैं। इन सब के बीच निकाय चुनाव पर भी इसका असर पड़ सकता है और समाज भी दो भागों में बंटा नजर आ रहा है।

 

     1970 के दशक में तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने तराई में बंगाली समुदाय को आश्रय दिया। उनके रहने से लेकर जीवकोपार्जन तक की सुख सुविधाएं दी। तब से तराई में बंगाली समाज के लोग यहीं के बनकर रह गए। तराई को आबाद करने में अहम भूमिका बंग समाज की भी रही। इसलिए चुनावी मैदान में इनका एकजुट होना किसी के लिए भी वरदान से कम साबित नहीं होता। नगर निकाय व पंचायत चुनाव इसी वर्ष के अंत तक हो जाएंगे। इन सब के बीच मानसून सत्र में भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान के बयान से बंगाली समाज में रोष व्याप्त हो गया। हर जगह भाजपा और विधायक के विरूद्ध नारेबाजी और पुतला दहन किया गया। जिस पर केविनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा से लेकर विधायक शिव अरोरा, अरविंद पांडेय ने पार्टी का बयान न होने की बात कहते हुए उन्हें मनाने में जुट गए। बंगाली समाज ने विधायक मुन्ना सिंह चौहान से माफी मांगने की मांग की थी, जिसके बाद उन्होंने एक वीडियो माफी मांगने की बनाकर जारी कर दी। यहां तक मामला ठीक था, लेकिन इसी बीच निकाय चुनाव को लेकर फरमान जारी होता है, तो मामला फिर से तूल पकड़ने लगता है। जिसमें विपक्ष के नेता, निर्दल नेता विधायक मुन्ना चौहान के बयान को लेकर अपना पलड़ा भारी करने में जुट गए हैं। दो दिन पहले कांग्रेसियों के विशाल धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में भी दिग्गज नेताओं ने इसी मुद्दे को उठाया और इस चुनाव में ही नहीं बल्कि 2027 तक के सभी चुनावों में सत्ता पार्टी को उखाड़ फेकने का संकल्प लिया। तराई में वर्तमान स्थिति है कि बंगाली समाज को भी विपक्ष, सत्ता पक्ष, निर्दल अपनी ओर करने में जुटे हैं। जिसके चलते उनकी एकता भी खंडित होती नजर आ रही है। बता दें कि बंगाली समाज की कुछ प्रमुख मांगे जिसमें आरक्षण आदि शामिल है, अब तक पूरा नहीं हो सका है। जिसे लेकर उनमें नाराजगी भी है।

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